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ईरान से ज्यादा ताकतवर पाक सेना:जंग हुई तो कौन देश किसका साथ देंगे; क्यों भिड़े दोनों मुस्लिम देश

 

 

16 जनवरी की देर रात बलूचिस्तान में ईरान की सेना ने घुसकर एयरस्ट्राइक की। इस एयरस्ट्राइक के बाद अगले 24 घंटे में पाकिस्तान सरकार ने दो बड़ी जवाबी कार्रवाई कीं। सबसे पहले तेहरान में मौजूद अपने राजदूत को वापस बुलाकर अपने देश में मौजूद ईरान के राजदूत को देश छोड़ने का फरमान जारी किया। इसके बाद पाकिस्तानी एयरफोर्स ने ईरान में घुसकर एयरस्ट्राइक की। इसके बाद से ही दोनों देशों में टकराव बढ़ गया है।

 

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि ईरान और पाकिस्तान में कौन-कितना ताकतवर है, दोनों के रिश्तों का इतिहास क्या है और अगर जंग हुई तो भारत समेत तमाम देश किसका साथ देंगे...

 

ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग के मुताबिक दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में पाकिस्तान 0.1711 के स्कोर के साथ नौवें स्थान पर है, जबकि ईरान 145 देशों में से 0.2269 स्कोर के साथ 14वें स्थान पर है।

इसके अलावा परमाणु हथियारों की बात करें तो 'द अटलांटिक' के मुताबिक ईरान के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है। उनके पास बैलिस्टिक-मिसाइल जरूर है, लेकिन कोई लंबी दूरी की मिसाइल नहीं है जो संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंच सके।

वहीं, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। यह पाकिस्तान को दुनिया का छठा सबसे बड़ा परमाणु हथियारों वाला देश बनाता है।

अगर टकराव की स्थिति बनी तो ताकतवर और पड़ोसी देश किसके साथ होंगे?
विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है कि ईरान और पाकिस्तान के बीच जारी टकराव के बढ़ने की संभावना काफी कम है। हालांकि, भारतीय सीमा से 1000 किलोमीटर की दूरी पर ये सब कुछ हो रहा है, इसलिए चिंता की बात जरूर है। टकराव बढ़ता है तो भारत का झुकाव ईरान की तरफ होगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपने बयान में इसके संकेत भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई देश अपनी हिफाजत के लिए कार्रवाई करता है तो भारत उसकी स्थिति समझ सकता है। भारत हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है।

ईरान के पक्ष में भारत के जाने की दो वजह हो सकती हैं… 1. ईरान से हमारी किसी भी तरह की कोई लड़ाई नहीं रही है। 2. इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और अपने हितों के लिहाज से ईरान भारत के लिए एक अच्छा पार्टनर है।

ऐसे में अगर टकराव बढ़ता भी है तो भारत के लिए ज्यादा चिंता की बात नहीं है। इसके अलावा अफगानिस्तान और तुर्केमेनिस्तान जैसे देश नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान और ईरान के बीच जंग हो। इसकी वजह है कि तुर्केमेनिस्तान की पॉलिसी न्यूट्रल है।

वहीं, ताजाकिस्तान भाषाई और जमीनी तौर पर ईरान के करीब है, इसलिए इसका झुकाव ईरान की ओर रहना स्वभाविक है। हालांकि, चीन किसी भी कीमत में इन दोनों के बीच जंग की स्थिति नहीं बनने देना चाहेगा।

इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान और ईरान दोनों ही देशों से चीन का रिश्ता काफी अच्छा है। चीन खाड़ी में ईरान और एशिया में पाकिस्तान जैसे देशों की मदद से अपनी दादागिरी बनाए रखना चाहता है।

यही वजह है कि एयरस्ट्राइक किए जाने के बाद चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री की प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा- हम दोनों देशों से अपील करते हैं कि वो इस मामले को बातचीत से हल करें। तनाव बढ़ने से हमारे दोनों दोस्त मुल्कों को नुकसान होगा।

अमेरिका का ईरान इस वक्त सबसे बड़ा दुश्मन है, इसलिए अगर ऐसी स्थिति बनती है तो अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करेगा। अमेरिका ने ईरान की स्ट्राइक को गलत बताकर इसके संकेत दिए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि ईरान ने हाल ही के दिनों में अपने तीन पड़ोसी मुल्कों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।

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